भारतीय जन संचार संस्थान, संचार को विकास के लिए एक जरूरी उपादान के रूप में देखता है और विश्वस्तरीय शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधानात्मक योगदान के द्वारा समाज की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह संस्थान छात्रों, अधिकारियों और संचारकर्मियों को लगातार तेजी से आगे बढ़ रही दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है। आईआईएमसी (IIMC) के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को तैयार करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि ये प्रशिक्षण कार्यक्रम विकासशील देशों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सकें। इस अर्थ में भारतीय जन संचार संस्थान जन संचार के अन्यान्य प्रशिक्षण संस्थानों की तुलना में एक अलग और विशिष्ट स्थान रखता है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों की यह विशिष्टता, दुनिया भर में जिम्मेदार और प्रतिष्ठित पदों पर काम कर रहे यहाँ के पूर्व छात्रों को एक विशिष्ट पहचान और चरित्र भी प्रदान करती है।
भारतीय जन संचार संस्थान को जन संचार शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान में गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसका पता इस बात से भी चलता है कि मीडिया और पेशेवर निकायों द्वारा प्रतिवर्ष किए जाने वाले विभिन्न मूल्यांकनों के नतीजों में लगातार इसका स्थान शीर्ष पर बना हुआ है।
17 अगस्त, 1965 वह दिन था, जब भारतीय जन संचार संस्थान अस्तित्व में आया। तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। संस्थान की शुरुआत बहुत कम कर्मचारियों के साथ, जिनमें यूनेस्को के दो सलाहकार भी शामिल थे, छोटे स्तर पर हुई थी।
शुरुआती कुछ वर्षों में, संस्थान ने मुख्य रूप से केंद्रीय सूचना सेवा अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किए और बहुत छोटे स्तर पर कुछ शोध अध्ययन योजनाएँ संचालित कीं। इसके बाद सन् 1969 में, अफ्रीकी-एशियाई देशों के मध्यम स्तर के श्रमजीवी पत्रकारों के लिए एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तौर पर ‘विकासशील देशों के लिए पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम’ शुरू किया। कुछ समय पश्चात् संस्थान द्वारा केंद्र व राज्य सरकारों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के विभिन्न मीडिया व प्रचार संगठनों में काम करने वाले संचारकर्मियों की प्रशिक्षण जरूरतों को देखते हुए एक सप्ताह से तीन महीने की अवधि के कई विशेष लघु पाठ्यक्रम शुरू किए गए। भारतीय जन संचार संस्थान संचार जगत् में अपनी गौरवशाली यात्रा जारी रखते हुए बीते कुछ वर्षों से नियमित स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का भी आयोजन कर रहा है।
वर्तमान समय में भारतीय जन संचार संस्थान ने अपनी शैक्षणिक गतिविधियों का विस्तार किया है और अब तेजी से बढ़ते मीडिया और संचार उद्योग की कुशल श्रमशक्ति जरूरतों को पूरा करने के लिए कई विशेष पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है। भारतीय जन संचार संस्थान, मीडिया जगत् में हो रहे नए-नए परिवर्तनों व विकास के कारण उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने कार्यक्रमों को लगातार नया करने का ठोस प्रयास भी करता रहता है। इसके अलावा, मीडिया जगत् की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक परिवर्तनों और उपयुक्त संशोधनों के लिए पाठ्यक्रमों की नियमित रूप से समीक्षा तो की ही जाती है।
वर्तमान में भारतीय जन संचार संस्थान के देश भर में पाँच क्षेत्रीय केंद्र हैं, जो न केवल अँग्रेजी में, बल्कि स्थानीय भाषाओं में भी पत्रकारिता पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।
पूर्वी भारत की माँगों को पूरा करने के लिए सन् 1993 में ओडिशा के ढेंकनाल में पहला क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया गया था।
शैक्षणिक वर्ष 2011-12 से पश्चिमी भारत के लिए महाराष्ट्र के अमरावती में और देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के लिए मिजोरम के आइजोल में दो क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए गए।
शैक्षणिक वर्ष 2012-13 से उत्तर भारत की माँगों को पूरा करने के लिए जम्मू, जम्मू और कश्मीर और दक्षिण भारत के लिए कोट्टायम, केरल में क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए गए।
वर्तमान में भारतीय जन संचार संस्थान अपने नई दिल्ली और पाँच क्षेत्रीय केंद्रों में एक साथ निम्नलिखित स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चला रहा है :
- अँग्रेजी पत्रकारिता
- विज्ञापन एवं जनसंपर्क
- हिंदी पत्रकारिता
- रेडियो और टीवी पत्रकारिता
- डिजिटल मीडिया
- उड़िया पत्रकारिता
- उर्दू पत्रकारिता
- मराठी पत्रकारिता
- मलयालम पत्रकारिता
भारतीय सूचना सेवा के लिए पाठ्यक्रम
सूचना और प्रसारण मंत्रालय की कार्मिक नीति के अनुसार, ग्रुप ए और बी के आईआईएस (IIS) अधिकारियों के लिए दो साल का प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित है। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय अकादमियों में तीन महीने, भारतीय जन संचार संस्थान (नई दिल्ली) में नौ महीने तथा एक वर्ष नौकरी के दौरान का प्रशिक्षण लेना होता है। राष्ट्रीय अकादमियों में फाउंडेशन कोर्स से गुजरने के बाद, प्रशिक्षु अधिकारी पेशेवर प्रशिक्षण के लिए भारतीय जन संचार संस्थान में शामिल होते हैं, जहाँ वे एक ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा बनते हैं, जिसमें सैद्धांतिक अभिविन्यास, कौशल वृद्धि और समग्र व्यक्तित्व विकास से संबंधित प्रशिक्षण शामिल होता है। प्रशिक्षण के पहले वर्ष की समाप्ति तक प्रशिक्षु अधिकारियों से न केवल भारतीय मीडिया और संचार उद्योग के संबंध में जरूरी समझ बना लेने की अपेक्षा की जाती है, बल्कि यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे मीडिया प्रौद्योगिकी में अपने कौशल का बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे और मीडिया को आकार देने वाली अंतर्निहित शक्तियों की स्पष्ट अवधारणा को भी ठीक से समझ रहे होंगे।
लघु अवधि पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण विभाग
संस्थान सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की विभिन्न मीडिया इकाइयों के कर्मचारियों के लिए नियमित लघु अवधि शैक्षणिक कार्यक्रम चलाता है। संस्थान सशस्त्र बलों के अधिकारियों, विभिन्न राज्यों के पुलिसकर्मियों और विभिन्न मीडिया व प्रचार प्रभागों में काम करने वालों की पेशेवर प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक सप्ताह से 12 सप्ताह की अवधि के विशेष लघु अवधि पाठ्यक्रम भी संचालित करता है। इनमें शामिल होने वालों में केंद्र और राज्य, दोनों के ही सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के कर्मचारी हो सकते हैं।
अपनी स्थापना के बाद से संस्थान ने कुल 692 ऐसे पाठ्यक्रम आयोजित किए हैं, और देश-विदेश के 14,496 से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है।